तुमसे मिलना अच्छा लगता है

तुमसे मिलना अच्छा लगता आप
★★★★★★★★★★★★★★★

हर दुश्वार सवाली में
ये मौसम की अंगड़ाई में 
तुमसे मिलना अच्छा लगता है

कुछ हम बहके कुछ तुम बहको
ये मौसम भी रोमांटिक लगता है
तुम यू ही बाते करते रहो
आंखो में खोना अच्छा लगता है।

बिन कहे तेरे हर जज्बात
को समझना अच्छा लगता है।
सर्द ए रातों में चुपके चुपके
कम्बल में तेरा छुपककर 
तेरा बाते करना अच्छा लगता है।

कुछ हम कह दे कुछ तुम कह दो
ये बेजार जमाना लगता है।
नर्म हाथो में हाथ डालकर
बनारस की तंग गलियों में 
तेरे साथ घूमना अच्छा लगता है।

हर एक हफ्ते पे तेरा मिलना 
बड़ा बेचैनी सा करता है
तुम्हारे पहने हुए जैकेट को
पहनना बड़ा अच्छा सा लगता है।

अब दुनिया वालो का गम नहीं
राहों में तुम संग चलना अच्छा
लगता है
भीड़ भरी राहों पे तेरा हाथ 
पकड़ना अच्छा लगता है।

दुनिया लगती बेगाना मुझे
वो पगला अपना सा लगता है।
वो सन्नाटो के बीच तेरा चुम्बन लेना
जिस्म में सिंहरन सा पैदा करता है
तेरे साथ मेरा कुछ गलत भी हो जाना
ना जाने क्यू सब सही सा लगता है।

तेरा हाथों का बना चुरा मटर खाना 
ना जाने क्यूं अच्छा लगता है।
तेरे माथे पे बिंदिया और लाली
और हर बार कातिलाना मुस्कुराना
ना जाने क्यू अच्छा सा लगता है।

सात समुंदर जाने की बात क्या
पिया
तेरे सीने में खोए रहना अच्छा 
लगता है।
तेरे बगैर जीना भी क्या जीना
तुम संग रहना अच्छा लगता है
तेरे संग प्यार में ना जाने क्यूँ खो 
जाने को भी जी करता है।

जब तुम संग मिलती हूं तो
ना जाने क्यूं ये टिक टिक घड़ी तंग 
सा करता है।
ये भीड़ भरी महफिल में भी
तुम बिन तन्हाई सा लगता है
जब भी तेरे पास आती मैं

मेरा दिल तेजी से धढकने लगता है।
तेरे बांहों में खोए रहना हरदम पिया
ना जाने दिल क्यूं करता है
कुछ हम कह दे कुछ तुम कह दो 
ये मौसम भी संगीन सा लगता है।

तेरा मासूम चेहरा और लाल सूट
बड़ा कयामत सा करता है।
तेरा आंखों का सुरमा और काजल 
बड़ा बेचैनी सा करता है
तेरी जुल्फों का घना बादल मेरे दिल 
को घायल करता है।
★★★★★★★★★★★★★★★
राजेश बनारसी बाबू
उत्तर प्रदेश वाराणसी
स्वरचित एवं अप्रकाशित रचना 

 

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6 Comments

बहुत ही प्रेममय प्रस्तुति

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Raziya bano

15-Nov-2022 05:36 PM

शानदार रचना

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Gunjan Kamal

15-Nov-2022 04:32 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🙏🏻🙏🏻

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